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मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी

मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी

November 19, 2016

मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी (जैविक सुरक्षा के नियम) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि योजनाबद्ध तरीके से मुर्गीपालन किया जाए तो कम खर्च में अधिक आय की जा सकती है। बस तकनीकी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। वजह, कभी-कभी लापरवाही के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी क्षति उठानी पड़ती है। मुर्गियां तभी मरती हैं जब उनके रखरखाव में लापरवाही बरती जाए। मुर्गीपालन में हमें कुछ तकनीकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। मसलन ब्रायलर फार्म बनाते समय यह ध्यान दें कि यह गांव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी व बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो। फार्म हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर बनाएं ताकि आस-पास जल जमाव न हो। दो पोल्ट्री फार्म एक-दूसरे के करीब न हों। फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम हो। मध्य में ऊंचाई 12 फीट व साइड में 8 फीट हो। चौड़ाई अधिकतम 25 फीट हो तथा शेड का अंतर कम से कम 20 फीट होना चाहिए। फर्श पक्का होना चाहिए।

इसके अलावा जैविक सुरक्षा के नियम (मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी ) का भी पालन होना चाहिए। एक शेड में हमेशा एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए। आल-इन-आल आउट पद्धति का पालन करें। शेड तथा बर्तनों की साफ-सफाई पर ध्यान दें। शेड में हमेशा विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव करें और बर्तनों को भी विराक्लीन (Viraclean) से धोया करें बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रखना चाहिए। कुत्ता, चूहा, गिलहरी, देशी मुर्गी आदि को शेड में न घुसने दें। मरे हुए चूजे, वैक्सीन के खाली बोतल को जलाकर नष्ट कर दें, समय-समय पर शेड के बाहर विराक्लीन (Viraclean) का छिड़काव व टीकाकरण नियमों का पालन करें। समय पर सही दवा का प्रयोग करें। पीने के पानी में एक्वाक्योर (Aquacure) का प्रयोग नियमित रूप से करें।

मुर्गा मंडी की गाड़ी को फार्म से दूर खड़ा करें। मुर्गी के शेड में प्रतिदिन 23 घंटे प्रकाश की आवश्यकता होती है। एक घंटे अंधेरा रखा जाता है। इसके पीछे मंशा यह कि बिजली कटने की स्थिति में मुर्गियां स्ट्रेस की शिकार न हों। प्रारम्भ में 10 से 15 दिन के अंदर तक दो वर्ग फीट के कमरे में 40 से 60 वाट के बल्ब का प्रयोग करने से चूजों को दाना-पानी ग्रहण करने में सुविधा होती है। इसके बाद 15 वाट बल्ब का प्रकाश पर्याप्त होता है।

जैसे- संभव हो तो एक ही उम्र के चूजे फार्म में रखें या फिर हर हाल में एक शैड में एक ही उम्र के चूजे रखें जाएं, अच्छी हैचरी से चूजे खरीदें सप्ताह में एक या दो बार फ्लाक में विराक्लीन (Viraclean) का स्प्रे जरूर करें और जब भी नए चूजे लाएं, तो मुर्गीफार्म की पूरी सफाई के बाद ही लाएं ।

मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी के कुछ टिप्स :

1. ब्रायलर मुर्गी के दाना को साफ़ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में फफून लग जाते हैं जो चूज़ों और मुर्गियों के स्वास्थ के लिए ख़राब होता है।

2. बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें ! इससे फार्म में बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।

3. शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 9-10 बार विराक्लीन ( Viraclean) का छिडकाव करें।

4. मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन फार्म में आने का खतरा होता है।

5. कुत्ते, बिल्ली, चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।

6. फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और और इन जूतों को बाहर दुसरे शेड में पहन कर नहीं जायें ।हांथों को साबुन से अच्छे से धोएं।

7. एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूज़े रखें शेड की क्षमता से अधिक चूजें ना रखें ना करें। इससे बीमारियाँ बढती हैं और साफ़ सफाई में मुश्किल होती है।

8. ब्रायलर मुर्गियों के बिक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गढ़े खुदवा कर गाड़ दें।

मुर्गीपालन में बायोसिक्योरिटी के कुछ बातों का ध्यान रखें तो किसी नुकसान से बचते हुए ज्यादा लाभ कमा सकते हैं। अच्छा मैनेजमेंट भी कभी-कभी डगमगा जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए एक चैकलिस्ट बनाएं और उसके हिसाब से ही रोजमर्रा के काम को चैक करें।ब्रायलर मुर्गीपालन से सम्बंधित कृपया आप इस लेख को भी पढ़ें  ब्रायलर मुर्गीपालन से सम्बंधित आधारभूत जानकारी